Today's mood

सानू सौदा नहीं पुखदा, सानू सौदा नहीं पुखदा...

रवि तो चेनाब पुछदा,

"की हाल है सतलुज दा?"

Saturday, May 5, 2012

किसी मोड़ पे तू ...


कभी गाँव की छत पे नाचते मोर को देखा,
और कभी आँधी तूफानों में उड़ते दुपट्टों को देखा |

किसी मोड़ पे तू नज़र तो आ जाए, 
सोच के पहरों-पहरों वीरान रास्तो को देखा |


  
कहीं मुझमे तू दिख जाए अगर, और एक ख्वाब हो,
न हमने सदियों से, आईने में खुद को देखा |

तू मिल जाए अगर राह चलते चलते किसी सफ़र में,
हमने न कदमो पे पड़े छालों को देखा |

किसी ने चाँद को सबसे सुन्दर कहा था
लड़ते, लड़ते घंटो तक चाँद को देखा |

चुपके चुपके सनाटे में
तेरा घर चमकाते चाँद को देखा |